
“गर्मी की छुट्टियां”-
मित्रों,टैगोर पार्क स्थित मेरे क्लिनिक पर कई अभिभावक एक समस्या लेकर आते हैं कि गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के पास बहुत समय होता है।इस समय को बच्चें कार्टून देखने या सुस्त पड़े रहते हुए बिताते हैं।अतः इन छुट्टियों के सदुपयोग में माता पिता किस तरह बच्चों की मदद कर सकते हैं?मैं उन्हें काउंसलिंग के माध्यम से यह बताता हूँ कि आप इन छुट्टियों के दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक बनें यानी आप भी उनके साथ छुट्टियां बिताएंगे.ऐसे ही कुछ टिप्स हम सभी के लिए
-अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं।उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं,और उन्हें बताएं कि खाना बेकार न करें।
-भोजन के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें।इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत का महत्व समझेंगे।साथ ही कभी कभी उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें।उन्हें उनके लिए सब्जी या फिर सलाद बनाने दें।
-तीन पड़ोसियों के घर जाएं।उनके बारे में और जानें और घनिष्ठता बढ़ाएं।
-दादा-दादी/ नाना-नानी के घर जाएं और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने दें।उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत जरूरी है।उनके साथ तस्वीरें लें।
-उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाएं जिससे वो समझ सकें कि आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं।
-किसी भी स्थानीय त्योहार या स्थानीय बाजार को मिस न करें।
-अपने बच्चों को किचन गार्डन बनाने के लिए बीज बोने के लिए प्रेरित करें।पेड़ पौधों के बारे में जानकारी होना भी आपके बच्चे के विकास के लिए जरूरी है।
-अपने बचपन और अपने परिवार और देश के इतिहास के बारे में बच्चों को बताएं।साथ ही बच्चों को राष्ट्र के संसाधनों का सदुपयोग और भारतीय सेना का सम्मान करना सिखाएं।
-अपने बच्चों का बाहर जाकर खेलने दें, चोट लगने दें, गंदा होने दें. कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है।सोफे के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी बना देगी।
-उन्हें कोई पालतू जावनर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया या मछली पालने दें।
-उन्हें कुछ लोकगीत सुनाएं और महापुरुषों की प्रेरणादायी कहानियाँ सुनाएं।
-अपने बच्चों के लिए रंग बिरंगी तस्वीरों वाली कुछ कहानी की किताबें लेकर आएं।
-अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखें।इन सबके लिए तो उनका पूरा जीवन पड़ा है।बजाय इसके शतरंज,साँप-सीढ़ी,केरम आदि घरेलू खेल स्वयं उनके साथ खेले।
-उन्हें चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, कुरकुरे,गैस वाले पेय पदार्थ और पफ्स जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें।
-अपने बच्चों की आंखों में देखकर ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना उत्कृष्ट उपहार आपको दिया। अब से आने वाले कुछ सालों में वो नई ऊंचाइयों पर होंगे।
माता-पिता होने के नाते ये जरूरी है कि हम अपना समय बच्चों को दें।
-मूल लेखक
डॉ.सुमित दिंडोरकर
B.H.M.S.,M.D.(Mumbai)
होम्योपैथ व काउंसिलर
मॉडर्न होम्यो क्लिनिक
(Estd.–1982)